Harikrishan Dr.Devsare
देश के स्वतंत्रता संग्राम के विस्तृत इतिहास में वर्ष १८५७ की भूमिका डेढ़ सदी बीत जाने के बाद भी न सिर्फ जनमानस में गहरे उतरती जा रही है, बल्कि उसका महत्व भी मुखर हो कर सामने आता जा रहा है इस जन आन्दोलन में अनेकों वीरों ने अपने रक्तप्राण का बलिदान सहर्ष दिया और अंतिम इच्छा यही प्रकट की, कि उनका देश ब्रिटिश राज से मुक्त हो जाए। यह स्मृतियां केवल इतिहास के पृष्ठों में संजोने के लिए नहीं है बल्कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी प्रसार पाने योग्य गौरव गाथा हैं जिन्हें मानना देश को जानने जैसा ही पुण्य कार्य है। बिना आजादी का इतिहास जाने आजादी का मूल्य भला कैसे समझा जा सकता है और उसका मूल्य समझे बगैर हमारी पीढ़ियां उसकी रक्षा के लिए प्रणबद्ध कैसे हो पाएंगी ? यह रोचक और तथ्यपूर्ण पुस्तक इसी दायित्व का वहन करते सामने आई है और निश्चित रूप से पाठक इसे मूल्यवान पाएंगे।